श्रावक के षट् आवश्यकों में से एक देवपूजा के अन्तर्गत जिनागमानुसार शुद्धि के प्रकरण को ध्यान में रखते हुए आदर्श शुद्धि सदन का निर्माण किया गया हैं, जहाँ से श्रावकगण स्नानकर, धोती- - दुपट्टा पहनकर विशेष शुद्धिपूर्वक प्रतिमा- प्रक्षालन हेतु मन्दिरजी में प्रवेश करते हैं ।