कार्यालय, विश्राम गृह और आरोग्य-भवन
संकुल में प्रवेश करते ही सुन्दर चैतन्य-वाटिका में यातायात आवागमन हेतु विशाल पार्किंग है; साथ ही साधर्मी भव्य जीवों को आत्मा की आराधना करने के लिए स्वागत करता हुआ विशाल मुख्य प्रवेशद्वार सुशोभित है, जो कि प्राचीन एवं आधुनिक कला का उत्कृष्ट निदर्शन है ।
संकुल के सरल, न्यायिक और तटस्थ संचालन हेतु कार्यालय, साधर्मियों की विश्रान्ति हेतु विश्राम गृह, निकटवर्ती गाँवों के जरुरतमंद लोगों के शारीरिक रोगों के उपचार हेतु आरोग्य-भवन का निर्माण भी किया गया है।
इन सबके मध्य सीमन्धर स्वामी की दिव्य देशना और श्रीमद् भगवत् कुन्दकुन्दाचार्य देव के पंच परमागमों के रहस्यों को प्रकट करने वाले, युगसृष्टा पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की धवल पाषाण से निर्मित 101 इंच की प्रतिकृति का दर्शन होता है ।
आनंद के सागर में झूलते यह संत मानो यह कह रहे है कि हैं भव्यो ! पर- वैभव में तो अनन्तों बार विश्राम किया, रोगी - मलिन शरीर को भी निरोग- - सुन्दर बनाने का पुरुषार्थ किया । अब इस चैतन्यधाम में आकर अपने चैतन्यनाथ की प्राप्ति हेतु पुरुषार्थ करो ।