अनन्त तीर्थंकर भगवन्तों की वाणी को जीवन्त रखने तथा आत्मकल्याण के निमित्तभूत वर्तमानकाल में भव्य जीवों को धर्म के प्रति उत्साहित करने एवं उनके परिणामों को उज्ज्वल करने के लिए "श्रुत सदन" (जिनवाणी भवन) का निर्माण किया गया हैं, यहाँ बेठकर साधर्मीजन शान्तचित होकर श्रुत का श्रवण, पठन एवं चिन्तन-मनन करके षट् आवश्यको मेसे स्वाध्याय के आवश्यक को सार्थक करते हैं ।